बलिदान कहानी प्रेमचंद की बहुचर्चित कहानियों में से एक है। इस कहानी के माध्यम से उन्होंने जमीदारों के अन्याय और कृषकों की पीड़ा को सजीव चित्र प्रस्तुत किया है।
एक छोटे कलेवर की इस कहानी में सीमित पात्रों एवं घटनाओं के द्वारा उन्होंने तत्कालीन जमींदारी प्रथा का प्रभावशाली चित्र प्रस्तुत किया है।
कहानी के तत्वों की दृष्टि से प्रस्तुत कहानी की समीक्षा निम्नवत है-
शीर्षक - इस कहानी का शीर्षक आकर्षक, उत्सुकतावर्धक एवं स्वभाविक है। इस कहानी का शीर्षक पाठक को कहानी पढ़ने के लिए प्रेरित करता है। शीर्षक का कथानक के अनुरूप है तथा उसके संपूर्ण भाव एवं उद्देश्य को स्पष्ट करता है। इस कारण इस कहानी का एर्षक सार्थक एवं उपयुक्त है।
कथानक - प्रेमचंद जी की इस सामाजिक कथा में तत्कालीन सामाजिक व्यवस्था का यथार्थ चित्रण है। कथानक में मौलिकता, रोचकता, स्वाभाविकता, कौतूहलती इत्यादि विशेषताएं विद्यमान हैं।
कथानक सुगठित है। जो कृषक परिवार के सेवा, त्याग और समर्पण की भावना का पोषक है। यह जमींदार कृषक और श्रमिक के बीच के दारूण संबंधों की महागाथा है।