फ्रांसीसी बुद्धिजीवियों ने फ्रांस में बौद्धिक आन्दोलन का सूत्रपात किया।
इनमें प्रमुख मांटेस्क्यू, वाल्टेयर, रूसो और दिदरो थे। फ्रांस के बुद्धिजीवियों ने मिथ्या विश्वासों को समाप्त करके एवं मानवीय प्रथाओं और संगठनों में सुधार लाकर सुख प्राप्ति का मार्ग प्रदर्शित किया।
पादरियों के मिथ्याडम्बर के विरुद्ध प्रचार किया। मांटेस्क्यू तथा रूसो जैसे लेखकों ने लोकतंत्र का जोरदार शब्दों में समर्थन किया।
रूसो ने नई सामाजिक संविदा की आवश्यकता पर बल दिया।
वाल्टेयर ने चर्च, समाज और राजतंत्र के दोषों का पर्दाफाश किया।
मांटेस्क्यू और वाल्टेयर सुधार चाहते थे । परन्तु रूसो पूर्ण परिवर्तन चाहता था।
दिदरो ने फ्रांस में क्रांतिकारी विचारों का प्रचार किया। फ्रांस के अर्थशास्त्रियों की 'अहस्तक्षेप के सिद्धान्त' में पूरी आस्था थी।
फ्रांस के अर्थशास्त्री क्वेजनो एवं तुर्गों ने समाज में आर्थिक शोषण एवं आर्थिक नियंत्रण की आलोचना की।
राष्ट्रीय चेतना के इस प्रवाह ने फ्रांसीसी क्रांति के लिए आधार तैयार किया और क्रांति का मार्ग प्रशस्त किया।