बोली, भाषा का ही एक रूप है जो किसी क्षेत्र विशेष में प्रयोग किया जाता है। यह एक क्षेत्र - विशेष में विचारों के आदान-प्रदान के विधिवत् प्रयोग हेतु उपयोग में लाई जाती है। इसमें पम्परा व प्रभाववश अनेक स्वरूप मिल जाते हैं।बोलियाँ जातियों की विचारधारा का अनुवाद करने वाला व्यापार है।" बोली की तीन विशेषतायें निम्नलिखित हैं—
- बोली, भाषा का सीमित रूप है।
- बोली की शब्द रचना, पद रचना एवं वाक्य रचना अन्य व्याकरणिक गठन में भिन्न होती है।
- बोली, साधारण बोलचाल की भाषा है एवं यह साहित्यिक नहीं होती है।