मानक अथवा मानकीकृत भाषा उस भाषा को कहते हैं जो एक निश्चित पैमाने के अनुसार लिखी या बोली जाती है। अर्थात् मानक भाषा का पैमाना उसका व्याकरण है—
- मानकीकृत भाषा हमारे सांस्कृतिक, शैक्षिक, प्रशासनिक, सवैधानिक क्षेत्रों का कार्य संपादित करने में सक्षम होती है।
- वह सुस्पष्ट, सुनिर्धारित एवं सुनिश्चित होती है, उसके संप्रेषण से कोई भ्राँति उत्पन्न नहीं होती।
- मानकीकृत भाषा सर्वमान्य होती है।
- नए शब्दों के ग्रहण और निर्माण में वह समर्थ होती है।
- वह नवीन आवश्यकताओं के अनुरूप निरंतर विकसित होती रहती है ।
- वैयक्तिक प्रयोगों की विशिष्टता, क्षेत्रीय विशेषता अथवा शैलीगत विभिन्नता के बावजूद उसका ढाँचा सुदृढ़ व स्थिर होता है।