भारतीय अर्थव्यवस्था में कुटीर एवं लघु उद्योगों का महत्वपूर्ण स्थान है। ये उद्योग देश की अर्थव्यवस्था की आधारशिला है।
योजना आयोग के अनुसार ग्रामीण उद्योग को विकसित करने का प्रमुख प्राथमिक उद्देश्य कार्य के अवसर में वृद्धि करना, आय तथा रहन-सहन के स्तर को ऊँचा उठाना तथा एक अधिक संतुलित एवं एकीकृत ग्रामीण अर्थव्यवस्था का निर्माण करना है।
महात्मा गाँधी के अनुसार भारत का कल्याण उसके कुटीर उद्योग धन्धों में निहित है। इतना ही नहीं विश्व के अन्य विकसित देशों में भी इन उद्योगों का महत्वपूर्ण स्थान है। भारत में कुटीर उद्योगों में लगभग 2 करोड़ व्यक्तियों को रोजगार प्राप्त है। इसमें 10 लाख व्यक्ति केवल हस्तकरघा उद्योग में कार्यरत हैं।