1453 ई. में तुर्कों ने कुस्तुनतुनिया पर अधिकार कर लिया। ईसाई धर्म के मानने वाले कई विद्वान और कलाकार इटली में आकर बस गए। कुस्तुनतुनिया को अधिकृत करनेवाले के पश्चात् तुर्कों ने स्थल मार्ग को बन्द कर दिया। लोगों के हृदय में प्राचीन ज्ञान के साथ-साथ नवीन ज्ञान की खोज के लिए एक अभूतपूर्व जिज्ञासा उत्पन्न हुई। यही जिज्ञासा, यही कौतूहल एवं यही ज्ञान-पिपासा पुनर्जागरण का स्रोत बनी।
यह जिज्ञासा ही कोलम्बस, वास्कोडिगामा और मैगलन जैसे निर्भीक नाविकों को सागर की अनजान एवं रोमांचकारी लहरों पर खेलकर अनेक नए देशों और मार्गों को ढूंढ़ निकालने हेतु प्रेरित किया। 1453 ई० की इस घटना का महत्वपूर्ण प्रभाव पुनर्जागरण पर पड़ा।