आयनिक क्रिस्टलों की संरचना (Structure of lonic Crystals)
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आयनिक क्रिस्टलों की संरचना (Structure of lonic Crystals) 

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आयनिक क्रिस्टलों में दो तरह के आयन उपस्थित रहते हैं- (i) धनायन (केटायन) तथा (ii) ऋणायन (ऐनायन ) । ये दोनों तरह के आयन आकार तथा आवेश में भिन्नता रखते हैं। 

धनायन तथा ऋणायन एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं । फलस्वरूप एक प्रकार के आयन के चारों ओर दूसरे प्रकार के आयन एकत्रित होने लगते हैं।

आयनिक आकारों में अन्तर भी स्पष्ट है अतः ठोस की संरचना भी निश्चित होना स्वाभाविक है । हम यह भी जानते हैं कि धनायन की आकृति उसके पैतृक परमाणु की आकृति से कम किन्तु ऋणायन की आकृति उसके पैतृक परमाणु से अधिक होती है। 

आयनिक ठोसों में चूँकि धनायन तथा ऋणायन के आवेश बराबर होते हैं, अतः ये विद्युत् के प्रति उदासीन होते हैं। हमने ऊपर देखा है कि यदि अर्द्ध-व्यास अनुपात यानी +/ > 0.732 तो AB प्रकार के आयनिक ठोस में समन्वय संख्या 8 होगी और यदि +/r, 0.732 और 0.414 के बीच हो तो समन्वय संख्या 6 तो आयनिक ठोस की होगी। हमने यह भी देखा है कि यदि +/r, 0.414 एवं 0.225 के बीच समन्वय संख्या 4 होगी । "> एक बात ध्यान दें कि ccp संरचना में N परमाणु या आयन यानी गोले हों, तो 2N चतुष्फलकीय शून्य (Voids) एवं N अष्टफलकीय श्य होंगे। फेस सेन्टर्ड क्युबिक एकक सेल में 4 जालक बिन्दु होते हैं। 

अतः 4 अष्टफलकीय शून्य और 8 चतुष्फलकीय शून्य होंगे। यह कि एक अष्टफलकीय शून्य में r+ 0.414r अर्द्ध-व्यास का एक आयन एवं एक चतुष्फलकीय शून्य में+ = 0.225r अर्द्ध-व्यास का एक आयन रह सकता है ।

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