वृक्काणु की रचना : वृक्काणु या नेफ्रॉन उत्सर्जन की रचनात्मक और क्रियात्मक इकाई है। इसके प्रमुख भाग हैं
(i) बोमेन सम्पुट : वृक्काणु का अग्रभाग जो प्याले जैसा होता है।
(ii) केशिका गुच्छ : वृक्क धमनी तथा वृक्क शिरा के बार-बार विभाजित होने से बना रक्त केशिकाओं का गुच्छा ।
(iii) वृक्क शिरा : वृक्क में अशुद्ध रक्त लाने वाली रक्त वाहिनी ।
(iv) वृक्क धमनी : बोमेन सम्पुट से शुद्ध रक्त ले जाने वाली रक्त वाहिनी ।
(v) वृक्काणु का नलिकाकार भाग : हेनेल्स लूप के आगे वृक्काणु का अन्तिम छोर कुंडलित होकर इस भाग की रचना करता है। इसकी सतह पर रक्त केशिकाओं का जाल बिछा होता है।
(vi) संग्राहक नलिका : नेफ्रॉन का अन्तिम छोर एक नलिका से मिलता है जो मूत्राशय तक जाती है।
वृक्काणु की क्रिया-विधि--
(i) बोमेन सम्पुट के केशिका गुच्छ में उच्च रक्त चाप के कारण उत्सर्जी पदार्थ छनकर रक्त से बाहर आ जाते हैं। ये पदार्थ जल के साथ संग्राहक नलिका में जाते हैं और मूत्राशय में पहुँच जाते हैं।
(ii) केशिका गुच्छ के उच्च रक्त चाप के कारण कुछ महत्त्वपूर्ण पदार्थ जैसे ग्लूकोज, अमीनो अम्ल आदि भी छन जाते हैं जिन्हें हेनेल्स लूप और नलिकाकार भाग में फिर से सोख लिया जाता है। इसे पुनरावशोषण कहते हैं।