प्रत्यास्थ उत्तर प्रभाव क्या है? Pratyek Uttar Prabhav Kya Hai?
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प्रत्यास्थ उत्तर प्रभाव क्या है? Pratyek Uttar Prabhav Kya Hai?

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जब किसी वस्तु पर प्रत्यास्थता की सीमा के अन्तर्गत विरूपक बल लगाया जाता है, तो विरूपक बल हटा लेने पर वस्तु तुरन्त ही अपनी पूर्वावस्था ग्रहण नहीं कर सकती, बल्कि वस्तु को अपनी पूर्वावस्था ग्रहण करने में कुछ समय लगता है। इसे प्रत्यास्थ उत्तर-प्रभाव कहते हैं।

 इस प्रकार विरूपक बल हटा लेने पर वस्तुओं द्वारा अपनी पूर्वावस्था ग्रहण करने में होने वाली देरी को प्रत्यास्थ उत्तर-प्रभाव कहते हैं। 

प्रत्यास्थता सम्बन्धी प्रयोगों में इस प्रभाव के निराकरण हेतु तार या छड़ आदि पर से भार हटा लेने के तुरन्त बाद पाठ्यांक नहीं लेते, बल्कि कुछ देर रुक कर पाठ्यांक लेते हैं।

क्वार्ट्ज तथा फॉस्फर-ब्रोंज में प्रत्यास्थ उत्तर-प्रभाव नगण्य होता है। अतः सुग्राही यन्त्रों में निलम्बन तार क्वार्ट्ज या फॉस्फर-ब्रोंज के बनाये जाते हैं।

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