दिसम्बर, 1920 में नागपुर के अधिवेशन में काँग्रेस ने अपना लक्ष्य स्वराज्य घोषित कर दिया। इससे पूर्व काँग्रेस का लक्ष्य केवल ब्रिटिश साम्राज्य के अंतर्गत स्वशासन (Self Government Within the British Empire) था।
लेकिन उग्रवादी पहले ही भारत का संबंध ब्रिटिश साम्राज्य से तोड़ना चाहते थे। काँग्रेस ने अपना लक्ष्य स्वराज्य तो घोषित कर दिया, परंतु इसकी परिभाषा नहीं दी। परिणामस्वरूप प्रत्येक व्यक्ति इसका अर्थ अपनी इच्छानुसार बताता रहा।
महात्मा गाँधी ने स्वराज्य का अर्थ बताते हुए कहा - इसको संभवतः ब्रिटिश साम्राज्य के अंतर्गत प्राप्त किया जाये। परंतु आवश्यकता पड़ने पर ब्रिटिश साम्राज्य के बाहर भी प्राप्त किया जा सकता है।
चूंकि मिस्टर जिन्ना, मिसेज ऐनी बेसेन्ट और विपिन चन्द्र पाल काँग्रेस के इस असहयोग कार्यक्रम से संतुष्ट नहीं थे; अतएव काँग्रेस को त्याग दिया। उदारवादी काँग्रेस को पहले ही त्याग चुके थे।