बैंकों का विलय पर एक टिप्पणी लिखें। Bankon Ka Vilay Per Tippani Likhen.
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बैंकों का विलय पर एक टिप्पणी लिखें। Bankon Ka Vilay Per Tippani Likhen.

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अर्थव्यवस्था को गति देने के उद्देश्य से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में घोषणा की थी कि भारत सरकार के स्वामित्व वाले 10 बैंकों का चार बड़े बैंकों में विलय कर दिया जाएगा। बैंक विलय संबंधी इस निर्णय के पश्चात देश में सार्वजनिक बैंकों की कुल संख्या 18 से घटकर 12 रह जाएगी। कुछ वर्ष पूर्व सरकार ने बैंकों ऑफ बड़ौदा के साथ विजया बैंक और देना बैंक का विलय किया था। भारत में बैंकों का विलय कोई नई प्रक्रिया नहीं है, बल्कि देश में इसका लंबा इतिहास रहा है। बैंकों के विलय की प्रक्रिया को समय-समय पर देश और विदेश में बैंकिंग प्रणाली में सुधार हेतु अपनाया जाता रहा है।

भारत में बैंकों के विलय संबंधी दिशा-निर्देश बैंकिंग विनियम अधिनियम, 1949 की धारा 44A के अंतर्गत दिये गए हैं। उल्लेखनीय है कि बैंकिंग कंपनियों के विलय हेतु भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (Competition Commission of India-CCI) से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होती है। बैंकिंग कंपनियों के विलय हेतु यह आवश्यक है कि सभी पक्षों के कम-से-कम दो-तिहाई शेयरधारकों द्वारा इस विलय की अनुमति दी जाए।

1 अप्रैल 2020 से सरकारी बैंकों का बड़ा मर्जर प्लान लागू हो गया है। इसके तहत ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स (OBC) और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया का मर्जर पंजाब नेशनल बैंक में हो गया है, विलय के बाद यह देश का दूसरा सबसे बड़ा बैंक बन गया। SBI देश का सबसे बड़ा बैंक है, सिंडिकेट बैंक का विलय केनरा बैंक में हुआ जिससे यह देश का चौथा सबसे बड़ा बैंक बन गया। इलाहाबाद बैंक का विलय इंडियन बैंक में हुआ है। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के साथ आंध्रा बैंक और कॉरपोरेशन बैंक का विलय हुआ है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंकों के मर्जर ( विलय) की घोषणा करते वक्त कहा था कि इस विलय के बाद देश में सरकारी बैंकों की संख्या 12 रह जाएगी। साल 2017 में देश में सरकारी बैंकों की संख्या 27 थी। इससे पहले देना बैंक और विजया बैंक का बैंक ऑफ बड़ौदा मैं विलय हुआ था।

इंडियन बैंक का इलाहाबाद बैंक मर्जर हुआ। पंजाब नेशनल बैंक के अंदर ओरिएंटल और यूनाइटेड बैंक का मर्जर हो गया। यूनियन बैंक का आंध्रा बैंक और कॉरपोरेशन बैंक के साथ विलय हो गया।

देश में बैंकों का विलय कर उन्हें बड़ा बनाने के पीछे सबसे प्रमुख तर्क यह दिया जाता है कि इससे भारतीय बैंक भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतियोगिता करने में सक्षम हो जाएंगे। बैंकों के विलय से उनकी परिचालन लागत (Operation Cost) में भी कमी आती है। इसके प्रभाव से बैंक का (NPA) प्रबंधन और अधिक कुशल हो जाता है। विलय से बैंकों की कार्यकुशलता में भी वृद्धि देखी जाती है। जब दो या दो से अधिक बैंक एक साथ आते हैं तो उनकी कुल परिसंपत्ति में भी वृद्धि होती है, जिससे उनकी ऋण देने की क्षमता बढ़ जाती है और वे ग्राहकों को बड़ा लोन ऑफर कर पाते हैं। यह सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को बिना राज्य के कोष की मदद लिये और अधिक संसाधन जुटाने में मदद करता है। बैंकों के विलय से बैंकिंग सेवाओं का दायरा भी बढ़ जाता है और ग्राहकों को देश भर में आसानी से बैंकिंग सेवाएँ मिल जाती हैं। बैंकों के मध्य चल रही नकारात्मक प्रतिस्पर्द्धा समाप्त हो जाती है। सरकार पर सार्वजनिक बैंकों के वित्तपोषण का बोझ कम हो जाता है। बैंकों की संख्या जितनी कम होती है उन पर नियंत्रण करना भी उतना ही आसान होता है | BASEL III के कठोर मापदंडों को पूरा करने में भी बैंकों को मदद मिलती है। इसके परिणामस्वरूप भारतीय बैंकिंग प्रणाली और अधिक सशस्त होती है।

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