गुप्त शासक चन्द्रगुप्त प्रथम का उत्तराधिकारी उसका पुत्र समुद्रगुप्त था। भारतीय इतिहास में समुद्रगुप्त का स्थान एक महान विजेता तथा प्रतिभाशाली सम्राट के रूप में स्वीकार किया गया है।
उसने अपनी विजयों के द्वारा भारत को राजनीतिक एकता के सूत्र में बाँधा।
समुद्रगुप्त एक महान् विजेता ही नहीं बल्कि कुशल संगठन कर्ता तथा कला और संस्कृति का प्रेरक भी था।
प्रयाग प्रशस्ति में उसे सर्वराजोच्छेताअर्थात् समस्त राजाओं का उन्मुलन करने वाला के साथ-साथ उसे ज्ञान मर्मज्ञ भी कहा गया है।