शैवाल के बारे में बताएं। Shaiwal Ke Bare Mein Batayen.
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शैवाल के बारे में बताएं। Or, Shaiwal Ke Bare Mein Batayen.

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ऐल्गी पौधे सदृश्य ऐसे सूक्ष्मजीव हैं जिनके शरीर में जड़, तना तथा पत्तियाँ नहीं होती हैं जिस कारण इनका शरीर थैलस (thallus) कहलाता है। आकार, परिमाण तथा वास-स्थानों के दृष्टिकोण से इनमें अत्यधिक विविधता होती है। ये नदी, तालाब, झील, जलाशय तथा समुद्र में पाए जाते हैं। ये नम मिट्टी एवं चट्टानों पर भी उगते हैं। इनकी कुछ प्रजातियाँ बर्कों में भी मिलती हैं। इनका शरीर एककोशिकीय या बहुकोशिकीय होता है। एककोशिकीय ऐल्गी तथा बैक्टीरिया में कई समानताएँ होती हैं। इसी कारण से ऐसे ऐल्गी को सायनोबैक्टीरिया (Cyanobacteria) भी कहा जाता है। एककोशिकीय ऐल्गी तथा बैक्टीरिया में कई समानताएँ होती हैं। एककोशिकीय ऐल्गी, जैसे क्लेमाइडोमोनस (Chlamydomonas) इतने सूक्ष्म होते हैं कि वे माइक्रोस्कोप की ( मदद से ही स्पष्ट दिखते हैं जबकि कुछ बहुकोशिकीय समुद्री ऐल्गी, जैसे मैक्रोसिस्टिस (Macrocystis) 50-60 मीटर तक लंबे होते हैं। कुछ ऐल्गी वृक्ष की छालों (barks) पर भी उगते हैं। जूक्लोरेला (Zoochlorella) नामक ऐल्गी जंतु (हाइड्रा) के शरीर में उगकर जीवों में सहजीविता (symbiosis) का संबंध दर्शाते हैं।

एककोशिकीय ऐल्गी के आकार में भी विविधता होती है। ये गोल, दंडाकार या मुद्गर (club) तथा स्पिडॅल के आकार के होते हैं। बहुकोशिकीय ऐल्गी, जैसे स्पाइरोगाइरा (Spirogyra) रीबन के आकार के होते हैं। इनमें कुछ, जैसे फ्यूकस (Fucas) तथा कौंड्रस (Chondrus) शाखित भी होते हैं। ऐल्गी अलग-अलग क्लेमाइडोमोनस (Chlamydomonas) रहकर भी जीवन व्यतीत करते हैं, परंतु कुछ, जैसे वॉलवॉक्स (Volvox) समूह (colony) बनाकर रहते हैं। 

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