उद्योगों की स्थापना को प्रभावित करने वाले तत्त्वों में कच्चा माल की उपलब्धि, और यातायात के साधन महत्त्वपूर्ण हैं।
लोहा तथा इस्पात उद्योग का मुख्य कच्चा माल कोयला और लौह-अयस्क है। कोयला ऊर्जा का भी एक साधन है।
इस्पात निर्माण के लिए लौह-अयस्क से लगभग ढाई गुना अधिक कोयला की आवश्यकता पड़ती है।
कोयला एक भारी खनिज है और इतनी अधिक मात्रा में इसे लौह-अयस्क के क्षेत्र में पहुँचाने में काफी खर्च पड़ता है और इस्पात का उत्पादन मूल्य बढ़ जाता है।
अतः लोहे को कोयला क्षेत्र में पहुँचाकर लोहा तथा इस्पात उद्योग की स्थापना की जाती है।
संसार के मुख्य कोयला क्षेत्र अटलांटिक, प्रशांत एवं अन्य समुद्रतटीय भागों में पाए जाते हैं। ये ही कोयला प्रदेश लोहा तथा इस्पात के केंद्र बन गए हैं।
समुद्रतटीय भाग जल यातायात के दृष्टिकोण से भी काफी महत्त्वपूर्ण हैं। समुद्री यातायात स्थलीय यातायात से काफी सस्ता और सरल है।
इस कारण समुद्रतटीय भागों में स्थापित लोहा एवं इस्पात उद्योग को कच्चा माल मंगाने और तैयार माल बाजार में भेजने में काफी आसानी होती है और खर्च कम पड़ता है।
यही कारण है कि संसार के अधिकांश लोहा एवं इस्पात केंद्र समुद्रतटीय भागों में स्थित हैं।