एक द्विक्षेत्रीय अर्थव्यवस्था (जिसमें सिर्फ फर्म और परिवार सम्मिलित हों) में उत्पादन का कार्य फर्म, परिवार द्वारा प्रदान की गई भूमि, श्रम, पूँजी तथा साहस की सहायता से होता है।
फर्म, परिवार के कार्य के बदले उत्पादन के संसाधनों पर मजदूरी, ब्याज एवं लाभ प्रदान करता है।
एक रुपये मूल्य के उत्पादन का अर्थ है एक रुपये के संसाधन को खरीदने के लिए उतने ही मूल्य की आय का सृजन।
परिवार इस आय का प्रयोग फर्मों द्वारा उत्पादित वस्तुओं के क्रय पर करता है।
इस तरह, उत्पादन, आय एवं व्यय के चक्रीय प्रवाह का निर्माण होता है,
जहाँ, कुल लाभ = कुल व्यय = कुल उत्पादन।