मनो-सामाजिक मानव के सामाजिक सम्बन्धों से प्रकट होता है। इसके अन्तर्गत हम सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक एवं आध्यात्मिक क्षेत्रों में मानव के व्यक्तित्व के विकास का अध्ययन करते हैं। मानव एक सामाजिक प्राणी है। उसे परिवार में माता-पिता एवं भाई-बहन आदि से सम्बन्ध बनाये रखना पड़ता है।
उसे समाज के अन्य वर्ग, पास-पड़ोसी, समुदाय, प्रदेश एवं राष्ट्र से भी सम्बन्ध बनाये रखना पड़ता है। सभी तत्त्व सामाजिक पर्यावरण की सीमा में आते हैं। सांस्कृतिक मूल्य, विश्वास, धैर्य, शिक्षा, व्यवसाय, जीवन मानक एवं राजनीतिक स्थितियाँ आदि सभी मानव पर्यावरण के स्रोत हैं।
मनुष्य सामाजिक एवं सांस्कृतिक पर्यावरण का उत्पाद है जिसके द्वारा मानव आकार तैयार होता है। रहन-सहन, खान-पान, पहनावा, ओढ़ावा, बोलचाल या भाषा शैली तथा सामाजिक मान्यताएँ मानव व्यक्तित्व का ढाँचा बनाती हैं जिसका मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य से प्रत्यक्ष सम्बन्ध रहता है। नैतिक, सांस्कृतिक तथा भावात्मक शक्तियाँ व्यक्ति व्यवहार तथा जीवन को अधिक प्रभावित करती हैं। यह पर्यावरण दो प्रकार का होता है। मुक्त समाज तथा नियन्त्रित समाज । मुक्त समाज का वातावरण व्यक्तित्व के विकास की दृष्टि से उत्तम माना जाता है, जबकि नियन्त्रित वातावरण अनुपयोगी होता है।