जब किसी विशेष कार्य को करने के लिए जितने व्यक्तियों की आवश्यकता होती है, यदि उनसे अधिक व्यक्ति लगे हुए हों, तो छिपी हुई बेकारी (Hidden Unemployment) अथवा प्रच्छन्न (अदृश्य) बेकारी पैदा हो जाती है, क्योंकि ऐसी स्थिति में उनमें से कोई भी पूरी तरह से काम पर लगा नहीं होता है, उनके द्वारा किये गए योगदान से वृद्धि नहीं होती अर्थात् प्रच्छन्न बेरोजगारी की सीमान्त उत्पादकता (Productivity) शून्य होती है।