पर्यावरण संकट वह गंभीर घटना है जो प्राकृतिक प्रक्रियाओं अथवा मानवीय क्रियाओं द्वारा उत्पन्न होती है। इसकी गंभीरता इतनी अधिक होती है कि जीवधारियों तथा मनुष्यों की सहनशीलता से परे होती है तथा किसी निश्चित समय की सीमा के अंतर्गत समायोजन करना कठिन होता है जिसमें जान तथा माल की हानियाँ होती हैं। प्राकृतिक प्रक्रियाओं या मानवीय क्रियाओं द्वारा जो गंभीर घटनाएँ होती हैं और प्राकृकि पर्यावरण की प्रक्रियाओं को भंग करती है तथा मानव मात्र के लिए संकट उत्पन्न होता है; जैसे- भूकंप, भूचाल, बाढ़, ज्वालामुखी विस्फोट आदि । पर्यावरण संकट (Hazards) पर्यावरण प्रकोप (Disaster) का प्रयोग गंभीर घटनाओं के लिए होता है जो प्राकृतिक प्रक्रियाओं या मानवीय क्रियाओं द्वारा होती है ।
पर्यावरण संकट प्राकृतिक असाधारण प्रक्रियाओं के कारण होता है जिससे पर्यावरणीय प्रकोप भी होता है अथवा गंभीर घटनाएँ होती हैं। पर्यावरण प्रकोप की गंभीरता का आंकलन मानव समाज के जान तथा माल की हानि से होता है। पर्यावरण की गुणवत्ता में गिरावट लाने अथवा उसे नष्ट करने वाले कारकों को संकट या प्रकोप कहते हैं।
पर्यावरण तथा पारिस्थितिकी का संतुलन भंग हो जाता है, जिससे प्राकृतिक पर्यावरण की स्थिति अधिक बिगड़ जाती है। तब उसे 'पर्यावरण दबाव' (Environmental Stressors) कहते हैं। जब घटनाओं का रूप संकट तथा प्रकोप के रूप में भौतिक प्रक्रियाओं में अचानक होता है और मानव जीवन को खतरा होता है तब भी 'पर्यावरण दबाव' की स्थिति होती है।