ज्ञान अथवा समझ मानवीय मस्तिष्क की रचना है। इसमें अवधारणाओं का बनना, अनुभव, अन्वेषण तथा सत्यापन के तरीकों आवश्यक रूप से शामिल होते हैं। इसका अर्थ यह है कि ज्ञान का आधार अनुभव है और अनुभव को व्यक्ति अपनी भाषा के माध्यम से जाहिर करता है या दूसरों तक पहुँचाता है। जिस वस्तु के विषय में वह नहीं जानता है और उसके संपर्क में आता है तो उस वस्तु से संबंधित उसके मन में अनेक प्रश्न उठते हैं। इन प्रश्नों का उचित तथा अर्थपूर्ण उत्तर जानने के लिए तत्परता नहीं वरन् जाँच पड़ताल एवं अन्वेषण की आवश्यकता होती है। ज्ञान को सत्यापित करना पड़ता है इसके सत्यापन के बिना इसे वैध नहीं बताया जा सकता।
इसके सत्यापन हेतु हमें विभिन्न सत्यापन प्रक्रियाओं की आवश्यकता होती है जो इस प्रकार हैं -
1. अनुभव- समझ अथवा ज्ञान के निर्माण हेतु अत्यंत आवश्यक है।
2. अवधारणा का बनना।
3. अन्वेषण की विधियाँ ।
4. सत्यापन प्रक्रियाएँ ।