किसी अवधारणा का स्कीमा उस अवधारणा व उसके गुणों एवं अन्य अवधारणाओं के साथ उसके संबंधों को लेकर किसी व्यक्ति के समझ की रेखा-चित्र प्रस्तुति को कहते हैं। स्कीम की तरह स्कीमा भी व्यक्ति-व्यक्ति में बदलता रहता है। एक ही व्यक्ति के लिए यह वहीं का वहीं नहीं बना रहता है। उस अवधारणा के विषय में व्यक्ति की समझ बदलने पर स्कीमा भी बदल जाता है।
उदाहरण- बच्चा किसी जानवर की तस्वीर अपने दिमाग में बनाता है। धीरे-धीरे यह तस्वीर बदलती है और ज्यादा विशिष्ट होती जाती है। जब वह इस अवधारणा को अधिक व्यापक करता है तो अपने नए-नए अनुभवों को इसमें सम्मिलित करके उस जानवर के स्कीमा को बदल देता है।