बच्चे अपने आस-पास की दुनिया में सक्रिय रूप से जुड़े रहते हैं। वे खोजबीन करते हैं, प्रतिक्रिया करते हैं, वस्तुएँ बनाते हैं, उनके साथ कार्य करते हैं और अर्थ गढ़ते हैं।
बचपन विकास और निरंतर बदलाव की अवस्था है जिसमें शारीरिक एवं मानसिक क्षमताओं का पूर्ण विकास शामिल होता है।
बच्चों को स्वाभाविक रूप से सीखने वालों की तरह पहचाने जाने की आवश्यकता है। बच्चों के द्वारा बार-बार प्रश्न पूछकर उसका उत्तर प्राप्त कर जिज्ञासु प्रवृत्ति का विकास होता है। बच्चें अपने आपको दूसरों से जोड़कर व देखकर सीखते हैं जिससे उनकी समझ का विकास होता है।