सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है जोर कितना बाजू-ए-कातिल में है।
उपर्युक्त गजल की पंक्तियां शायर बिस्मिल अजीमाबादी (Shayar Bismil Azimabadi) की थीं।
बिस्मिल अजीमाबादी का वास्तविक नाम सैय्यद शाह मोहम्मद हसन था। वो वर्ष 1901 में पटना से 30 किमी. दूर हरदास बिनाहा गांव में पैदा हुए थे।
यह गजल उर्दू में लिखी गई थी एवं वर्ष 1922 में काजी अब्दुल गफ्फार की पत्रिका सबाह में छपी थी।