वर्ष 1900 में कर्जन (Lord karjan) ने कहा था - मुझे विश्वास है कि कांग्रेस अपने विनाश की तरफ जा रही है और मेरी यह बड़ी इच्छा भारत में रहते होगी कि इसके शांतिप्रिय निधन के लिए इसका सहायक बनूं।
अंग्रेज शासक समझते थे कि नरमपंथियों के नेतृत्व में कांग्रेस काफी कमजोर है, जनता में इसकी पैठ नहीं है, अतः इसे खत्म किया जा सकता है। इस नीति के सबसे बड़े प्रवक्ता थे लॉर्ड कर्जन।
वर्ष 1903 में उन्होंने मद्रास के गवर्नर को लिखा- जबसे मैं भारत आया हूं, मेरी नीति यही रही है कि किसी भी तरह कांग्रेस को नपुंसक बना दूं।
कर्जन ने कांग्रेस अध्यक्ष के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल से मिलने से इंकार कर दिया था।