यहाँ कवि रैदास ने स्पष्ट किया है, कि भक्त और भगवान के बीच वही सम्बन्ध है, जो चन्द्रमा और चकोर का होता है। चकोर का चन्द्रमा के प्रति अद्भुत प्रेम होता है।
जिस प्रकार चकोर चन्द्रमा के सौन्दर्य से आकृष्ट होकर मुग्ध भाव से एकटक उसकी ओर निहारता रहता है, उसी प्रकार भक्त भी अपने भगवान की विराट सत्ता को मुग्ध भाव से निहारता है। यहाँ दृष्टान्त अलंकार की छटा है।