अकबर चाहता था, कि भूमिकर नगदी मिले। इस उद्देश्य से उसने विभिन्न क्षेत्रों के लिए नगद भूमि कर की सूचियाँ तैयार करवाई इसे ही दस्तूर (Dastur) कहा गया है।
भिन्न-भिन्न प्रकार की फसलों (Crops) पर लगाये जानेवाले लगान (Tax) की अलग-अलग क्षेत्रों के लिए तैयार की जाती थी।
उदाहरण के लिए लाहौर के दस्तूर में गेहूँ पर भूमिकर निर्धारित करने के लिए पिछले 10 वर्षों के मूल्यों की औसत लगान निश्चित किया जाता था।
इसी प्रकार चना, कपास आदि पर सूचियाँ पर भूमिकर निश्चित करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों के लिए ऐसी 95 अलग-अलग सूचियाँ बनाई गई।