जन्मदर और मृत्युदर की प्रवृत्तियों ने भारत की जनसंख्या वृद्धि को किस प्रकार निर्धारित किया है?
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जन्मदर और मृत्युदर की प्रवृत्तियों ने भारत की जनसंख्या वृद्धि को किस प्रकार निर्धारित किया है?

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जनसंख्या की वृद्धि को प्रभावित करने वाले कारकों में जन्मदर और मृत्युदर सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है। 1921 ई० के पूर्व जन्मदर और मृत्युदर दोनों ऊँची थी। 1911-1921 में जन्मदर 48 प्रति हजार तथा मृत्युदर 47 प्रति हजार थी, अतः जनसंख्या की वृद्धि की दर बहुत धीमी थी।

1921-51 की अवधि में दोनों की दर में कमी आयी किन्तु मृत्यु दर तेजी से घटी। 1941-1951 में जन्मदर 40 प्रति हजार और मृत्युदर 27 प्रति हजार दर्ज की गई। अतः जनसंख्या की वृद्धि पहले की अपेक्षा अधिक तीव्र गति से हुई।

1951-81 की अवधि में भारत की जनसंख्या में अति तीव्र वृद्धि हुई, क्योंकि जन्मदर में मामूली कमी (40 से 37 प्रति हजार) हुई और मृत्यु दर में भारी कमी (27 से 15 प्रति हजार) हुई।

सन् 1981 ई० के बाद जन्म दर में भी तेजी से गिरावट दर्ज की गई, अतः जनसंख्या की वृद्धि की गति धीमी हो गई।

भारत की जनसंख्या की प्राकृतिक वृद्धि 1911-21 में 0.9 प्रति हजार, 1941-51 में 12.5 प्रति हजार, 1971-81 में 21 प्रति हजार और 1991-1999 में 17 प्रति हजार थी।

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