मानव की विकासात्मक गतिविधियों के चलते प्रकृति की निर्मलता, स्वच्छता व संतुलन भंग हो जाता है तो इसके परिणामस्वरूप प्रदूषण (Pollution) होता है और तब हम कहते हैं कि प्रदूषण बढ़ रहा है और पृथ्वी में असंतुलन व्याप्त हो रहा है। अर्थात् वातावरण की निर्मलता का नष्ट हो जाना या बिगड़ जाना ही प्रदूषण है।
हमारे दैनिक जीवन में अनेक प्रकार के प्रदूषणों से हमारा सामना होता है, जो निम्नलिखित हैं—
- वायू प्रदूषण
- जल प्रदूषण
- भूमि प्रदूषण
- ध्वनी प्रदूषण
- रेडियोधर्मी प्रदूषण
- खनन प्रदूषण
- जलाशय का प्रदूषण
- अंतरिक्ष प्रदूषण एवं
- औद्योगिक संयंत्र से संबंधित प्रदूषण