कौशल दो प्रकार के होते हैं जो इस प्रकार हैं -
(1) जन्मजात कौशल- जन्मजात कौशल नैसर्गिक होता है, जैसे- बच्चा जन्म लेता है और स्वयं ही रोने लगता है उसकी यह क्रिया जन्म के तुरन्त बाद होती है। जन्म के कुछ समय पश्चात् वह दूध • पीना सीख जाता है, हाथ-पाँव हिलाना, हँसना, चलना, बैढ़ना, उठना, बोलना, खाना आदि सीख लेता है। ये सारे जन्मजात कौशल होते हैं ।
(2) सीखे जाने वाले कौशल- सीखे जाने वाले कौशल में यदि व्यक्ति को कुछ सीखने के अवसर मिले तो वह सीख सकता है। जैसे- कार चलाना, साइकिल चलाना, भाषा सीखना, तैरना आदि। मूलतः कौशल उसे कहते हैं, जिसे पाने हेतु व्यक्ति कोई कार्य करते समय दिमाग के साथ अपनी इंद्रियों का भी उपयोग करता हो जैसे- चमड़ा बनाना ।
चमड़ा बनाने के लिए मरे हुए जानवरों जैसेगाय, भैंस, ऊँट आदि की खाल उतारा जाता है। खाल को छुए बिना उतारना और चाकू का सटीक उपयोग करने हाथ व आँखों का अच्छा तालमेल आवश्यक होता है। यह तभी संभव है जब कोई इसका निरन्तर अभ्यास करता हो