सम्प्रेषण की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
1. सम्प्रेषण एक पारस्परिक सम्बन्ध स्थापित करने की एक प्रक्रिया है।
2. इसमें विचार-विमर्श तथा विचार-विनिमय पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
3. यह द्विवाही (Two way) प्रक्रिया है अर्थात् इसमें दो पक्ष होते हैं। एक संदेश देने वाला दूसरा संदेश ग्रहण करने वाला ।
4. सम्प्रेषण प्रक्रिया एक उद्देश्ययुक्त प्रक्रिया होती है।
5. सम्प्रेषण में मनोवैज्ञानिक-सामाजिक पक्ष (जैसे – विचार, संवेदनाएँ, भावनाएँ तथा संवेग समावेशित होते हैं।)
6. प्रभावशाली सम्प्रेषण, उत्तम शिक्षण के लिए एक बुनियादी तत्व है ।
7. सम्प्रेषण प्रक्रिया में प्रत्यक्षीकरण (Perception) समावेशित होता है। (यदि संदेश प्राप्त करने वाला व्यक्ति, संदेश का सन्दर्भ सही ढंग से प्रत्यक्षीकृत नहीं कर पाता तो सही सम्प्रेषण सम्भव नहीं है।)