बच्चा भाषा द्वारा रचे गए वातावरण में जीता और बड़ा होता है इस वातावरण को बनाने में अध्यापक काफी योग देता है।
यदि अध्यापक बच्चे के जीवन में भाषा के विभिन्न कार्य क्षेत्रों के प्रति संवेदनशील है तो वह बच्चे की बौद्धिक और भावनात्मक जरूरतों के अनुकूल कदम उठा सकता है।
अलग-अलग अवसरों पर बच्चे द्वारा प्रयोग की गई भाषा पर अध्यापक की प्रतिक्रिया बहुत महत्वपूर्ण होती है।
यदि प्रतिक्रिया दिखाती है कि अध्यापक बच्चे द्वारा एक खास ढंग से प्रयोग की गई भाषा पर उद्देश्य समझ रहा है तो ऐसी प्रतिक्रिया भाषा प्रयोग के इस ढंग से और समृद्ध बनाएगी।
इसके विपरीत यदि अध्यापक की प्रतिक्रिया 'सही' और 'गलत' के संबंध में किन्हीं धारणाओं से आधारित हो तो वह बच्चे की स्वतंत्र अभिव्यक्ति और संवाद-क्षमता के रास्ते में बाधा खड़ी करेगी ।