स्कूल समाज की आवश्यकता है। इसका निर्माण समाज के हित के लिए किया जाता है, परन्तु कितने खेद का विषय है कि समाज के हित के किलए बने हुए स्कूल समाज में अलग होते जा रहे हैं मातृभाषा के उपयोग शिक्षण के प्रति अरुचि ।
जिस स्कूल में मातृभाषा का शिक्षण नहीं होता, उसकी समस्याओं और आवश्यकताओं को समाज नहीं समझ सकता। ऐसी स्थिति में समाज से स्कूल का सहयोग प्रदान करने की आशा कैसे की जा सकती है ?
ऐसे स्कूल से शिक्षा प्राप्त करके जो बच्चा बाहर निकलेगा, वह अपने आप को अपने समाज से कितना अलग-थलग महसूस करेगा। ऐसा बच्चा बड़ा होकर अपने समाज का एक उपयोगी सदस्य कैसे बन पायेगा ?
स्कूल और सामज के बीच पनप रही इस अवांछित दूरी को समाप्त करने के लिए शिक्षा-शास्त्रियों ने स्कूल को सामुदायिक केन्द्र बनाने को आवश्यकता पर बल दिया है परन्तु यह आवश्यकता तभी पूरी होगी जब स्कूल में मातृभाषा के शिक्षण एवं विकास का महत्व दिया जाएगा।