बुद्धि की परख की एक लम्बी परम्परा है जिसमें कुछ कार्यों के छोटे-छोटे सैट दिए जाते हैं ताकि कामयाबी के स्तर पर व्यक्तिगत फर्क को उभारा जा सके। इस तरह के टेस्ट के आधार पर बुद्धि के माप को एक संख्या द्वारा दिया जाता है और इस तथाकथित उपलब्धि का स्तर एवं व्यक्तिगत भेद को प्रदर्शित करने वाले इन संख्याओं का शिक्षा जगत मनोवैज्ञानिक प्रयोगशाला व्यापक रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
मानसिक रूप में कमजोर व पिछड़े बच्चों के साथ अध्ययन बताते हैं कि भाषा सीखने के लिए बुद्धि का एक न्यूनतम स्तर सामान्य टेस्ट द्वारा किए परीक्षण में दिखना चाहिए, किन्तु यह न्यूनतम स्तर, बहुत ऊँचा नहीं होता और यह बात साबित कर दी गई है कि बुद्धि एवं किसी भी भाषा के विशेष संरचनात्मक ढाँचे का प्रयोग करने में कोई सम्बन्ध नहीं है। बुद्धि को छोटे शिशु के आवाज निकालने, शब्द भण्डार, व्याकरण जटिलता, मुहावरे, छन्द आदि को जोड़ने का प्रयास करता है ।