बहुभाषिता मानकीकरण की प्रक्रिया की प्रथम इकाई है। बहुभाषिता के कारण ही मानकीकरण की आवश्यकता पड़ती है।
जब किसी समाज में बहुत सी भाषाएँ प्रचलित होती हैं।
विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न भाषा रूप व्यवहार होते हैं तब राष्ट्रीय एकता, शैक्षिक विकास तथा अन्य क्षेत्रों में समान विकास के लिए एक सुगठित, व्याकरण निष्ठ, लिपिबद्ध एवं सर्वगुण सम्पन्न मानक भाषा की आवश्यकता होती है।
अतः उस बहुभाषी समाज में मानकीकरण की प्रक्रिया प्रारम्भ हो जाती है।
मानक भाषा का आधार प्रचलित बहुभाषाओं से ही कोई क्षेत्रीय बोली हो जाती है जो सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक कारणों से विकास का अवसर पाकर वृहत्तर क्षेत्रों अथवा समुदायों द्वारा अपना ली जाती है और अन्ततः वहीं मानक का पद प्राप्त कर लेती है।