भाषा का मानकीकरण - हिन्दी में वे समस्त गुण विद्यमान हैं जो एक राष्ट्र भाषा में होने चाहिए। इसका क्षेत्र विशाल है।
इसके अन्तर्गत मैथिली, मगही, भोजपुरी, अवध, बुन्देलखण्डी, छत्तीसगढ़ी, ब्रज एवं राजधानी आदि जनपदीय भाषाएँ सम्मिलित हैं।
हिन्दी में राष्ट्रभाषा बनने की क्षमता इसलिए भी है कि उसकी ध्वनि और लिपि में समानता होती है। इस समानता के कारण उसको आसानी से आत्मसात किया जा सकता है।
हिन्दी के द्वारा ही सम्पूर्ण राष्ट्र को एकता के सूत्र में बाँधा जा सकेगा। आज भारत में जो विघटनकारी तत्व उमड़ रहे हैं, उसका एकमात्र कारण यह है कि हमने अपनी राष्ट्रभाषा हिन्दी को उतना गौरव नहीं दिया जो उसे मिलना चाहिए था।