राष्ट्रीय कृषि आयोग द्वारा सामाजिक वानिकी के अधोलिखित उद्देश्य निर्धारित किए गए है -
(1) ईंधन उपलब्ध करवाकर गोबर का उपयोग उर्वरक के रूप में करने के लिए कृषकों को प्रोत्साहित करना ।
( 2 ) मृदा संरक्षण में सहायता करके उसकी उर्वरता को नष्ट होने से बचाना।
(3) लोगों में वृक्षों के प्रति लगाव तथा चेतना पैदा करना ।
(4) पशुओं के लिए चारा उपलब्ध करवाना।
(5) गाँव में बेकार पड़ी भूमि का वनोपयोग में लाकर वन क्षेत्र का विस्तार करना ।
( 6 ) ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों में वृद्धि करना।
(7) फलों के उत्पादन में वृद्धि करके अतिरिक्त आय के स्रोत पैदा करना ।
(8) कृषकों को इमारती लकड़ी और बाड़ा बनाने के लिए लकड़ी उपलब्ध करवाना।
(9) ग्रामीण क्षेत्रों में कुटीर उद्योगों के लिए वन उपज उपलब्ध करवाना।
(10) सड़क, नहर तथा रेलवे मार्ग के सहारे बेकार बड़ी भूमि से लकड़ी, चारा एवं फल प्राप्त करना ।
(11) छोटे कृषकों की आय के स्रोतों में वृद्धि करना ।
(12) पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में सहायता करना ।
(13) ग्रामीण और नगरीय क्षेत्रों की सीमाओं में खाली पड़ी भूमि पर वृक्ष लगाकर उसे हरित पेटी के रूप में रूपान्तरित करना ।