समाज कल्याण एवं सामाजिक सुरक्षा उन वैयक्तिक एवं सामूहिक प्रयासों, प्रावधानों तथा प्रक्रियाओं का समन्वय है जिसका मुख्य उद्देश्य मानव मूल्यों तथा मानकों के आधार पर व्यक्तियों तथा उनके समूहों को रक्षा प्रदान करना या उनका विकास करना है। सामाजिक कल्याण के निम्नलिखित क्षेत्र हैं
(क) यह सामाजिक सेवाओं, संस्थाओं, प्रावधानों, प्रयासों तथा प्रक्रियाओं का समूह है जिसके द्वारा वैयक्तिक या सामूहिक कल्याण किया जाता है।
(ख) समाज कल्याण व्यक्ति, समूह या पूरे समाज की ऐसी आवश्यकताओं की पूर्ति का प्रयास करता है जो तत्कालीन मूल्यों तथा मानकों द्वारा स्वीकृत हों। अपराधी अपने हित में अपराध के लिए अवसर चाहता है लेकिन यह स्वीकृत मूल्य या मानक पर आधारित नहीं। इस कारण, अपराध के लिए अवसर प्रदान करना समाज कल्याण के क्षेत्र में नहीं आता। इसी प्रकार, भिखारी अपने हित के लिए भिक्षा के व्यापक अवसर चाहता है। प्राचीन तथा मध्यकालीन मापदंडों के अनुसार भिक्षावृत्ति को केवल सामान्य स्वीकृति ही नहीं मिली थी, बल्कि अनेक देशों में उसे राज्य की ओर से प्रोत्साहन भी मिलता था। लेकिन आज की मानवीय प्रतिष्ठा से संबंधित मूल्यों के आधार पर भिखारियों का कल्याण उन्हें भिक्षा के और अधिक अवसर देकर नहीं किया जा सकता।
(ग) समाज कल्याण के क्षेत्र में राज्य तथा सार्वजनिक संगठनों के योगदान के अतिरिक्त ऐच्छिक संस्थाओं तथा व्यक्तियों के प्रयास भी आते हैं।
(घ) समाज कल्याण के अन्तर्गत निर्धनों, आश्रितों, विकलांगों तथा समाज के अन्य दुर्बल व्यक्तियों की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सेवाएँ प्रदान तो की ही जाती हैं, साथ ही और अधिक महत्वपूर्ण रूप से, इसमें सर्वसाधारण की सामर्थ्य को बढ़ाने, नागरिकों के जीवन स्तर को ऊँचा करने, समाज के कुरीतियों को दूर करने, जन समुदाय के लिए विकास के अवसर प्रदान करने, स्वस्थ वातावरण को सृजन करने तथा समाज की पुनः संरचना के लिए चेप्टाएँ की जाती हैं।
(ङ) समाज कल्याण का स्वरूप परिवर्तनशील होता है। जैसे-जैसे समाज में परिवर्तन होते रहते हैं, वैसे-वैसे समाज कल्याण के उद्देश्य, क्षेत्र एवं इसके हितकारी रुप बदलते रहते हैं।