बालक समाज के सबसे दुर्बल समूह होते हैं। गरीब माता-पिता के बच्चों का पालन-पोषण समुचित ढंग से नहीं हो पाता इसलिए केन्द्र तथा राज्य सरकारें अनेक बाल कल्याण योजनाएँ चलाता है।
बाल-कल्याण के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण कदम देश की स्वतंत्रता के बाद ही उठाए गए। बालकों के कल्याण में सरकार के अतिरिक्त ऐच्छिक अभिकरणों का योगदान भी सराहनीय रहा है। बालकों के संबंध में संविधान के उपबंधों, सरकार की नीति तथा उनके कल्याण के लिए उठाए गए कदमों की विवेचना निम्नलिखित है
संविधान के उपबंध (Provision of the Constitution )- भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों तथा राज्य-नीति के निर्देशक सिद्धांतों के अंतर्गत बालकों के हितों की रक्षा और उनके कल्याण से संबद्ध महत्त्वपूर्ण उपबंध हैं। संविधान के अनुच्छेद (Article) 15 के अधीन धर्म, प्रजाति, जाति, लिंग, जन्म स्थान आदि के आधार पर नागरिकों के बीच राज्य द्वारा भेदभाव करने की मनाही की गई है, लेकिन राज्य महिलाओं और बालकों के लिए विशेष व्यवस्था कर सकता है। शोषण से रक्षा के मौलिक अधिकार से संबद्ध अनुच्छेद 24 में कहा गया है कि 14 वर्ष से कम उम्र के किसी भी बालक को कारखानों, खानों या अन्य संकटपूर्ण नियोजनों में नहीं लगाया जाएगा। राज्य-नीति के निर्देशक सिद्धांतों के अंतर्गत संविधान के अनुच्छेद 39 में कहा गया है कि सरकार ऐसी नीति का निर्देशन करेगी कि बालकों की कोमल उम्र का दुरुपयोग न हो, उन्हें स्वतंत्रता और गरिमा की दशाओं में स्वस्थ ढंग से विकसित होने के अवसर और सुविधाएँ मिल सकें। अनुच्छेद 45 के अंतर्गत राज्य को संविधान के लागू होने के 10 साल के अंदर 14 वर्ष से कम उम्र के सभी बालकों के लिए निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा की व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं। संविधान के कुछ अन्य उपबंध, जैसे-पोषण के स्तर में सुधार, लोगों के रहन-सहन में सुधार, सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार, बेगार का उन्मूलन, शिक्षा पाने का समानाधिकार, अपाहिजपन की स्थिति में सहायता आदि से संबद्ध उपबंधों का भी बाल कल्याण से गहरा संबंध है।
बालकों के संबंध में राष्ट्रीय नीति (National Policy for Children) - 1974 में भारत सरकार द्वारा बालकों के लिए एक राष्ट्रीय नीति की घोषणा की गई। इस नीति में बालकों के हितों की रक्षा तथा उनके कल्याण से संबद्ध कार्यक्रमों और प्राथमिकताओं का उल्लेख किया गया है। इस नीति में कहा गया है- “सरकार की यह नीति रहेगी कि बच्चों के जन्म से पहले और बाद में तथा वृद्धि के दौरान उपयुक्त सेवाएँ उपलब्ध कराई जाएँ, ताकि उनका पूरा-पूरा शारीरिक, मानसिक और सामाजिक विकास हो सके। " सरकार ऐसी सेवाओं का कार्यक्षेत्र लगातार बढ़ाती जाएगी, ताकि उचित समय के अंदर देश के सभी बच्चों को अपनी संतुलित वृद्धि के लिए सर्वोत्तम सुविधाएँ मिल सकें।
इन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए निम्नलिखित उपायों पर जोर दिया गया है
(i) सभी बच्चों को एक व्यापक स्वास्थ्य कार्यक्रम के दायरे में लाया जाएगा।
(ii) बच्चों की खुराक में कमियाँ दूर करने के उद्देश्य से पोषण- सेवाएँ देने के लिए कार्यक्रम चलाए जाएँगे
(iii) गर्भवती महिलाओं और स्तनपान करानेवाली माताओं के सामान्य स्वास्थ्य में सुधार, उनकी देखभाल, पोषण तथा उन्हें पोषण के बारे में शिक्षित करने के लिए कार्यक्रम चलाए जाएँगे।
(iv) राज्य 14 वर्ष की उम्र तक बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा देने के लिए उचित उपाय करेगा और राष्ट्रीय स्रोतों की उपलब्धता के अनुरूप इस कार्य के लिए समयबद्ध कार्यक्रम चलाया जाएगा।
(v) जो बच्चे औपचारिक विद्यालय शिक्षा का पूरा लाभ उठा पाने की स्थिति में नहीं हैं, उनकी आवश्यकताओं के अनुरूप शिक्षा के अन्य तरीके उपलब्ध कराए जाने चाहिए।
(vi) विद्यालयों, सामुदायिक केन्द्रों और ऐसी ही अन्य संस्थाओं में शारीरिक स्वास्थ्य - शिक्षा,
खेल और अन्य मनोरंजक तथा सांस्कृतिक और वैज्ञानिक गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाएगा।
(vii) अवसरों की समानता सुनिश्चित करने के लिए कमजोर वर्गों, जैसे- अनुसूचित जातियों और जनजातियों के बच्चों और गाँवों तथा शहरों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के बच्चों को विशेष सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।
" (viii) विपन्न सामाजिक परिस्थितियों वाले अपराधी बन चुके, भिखारी बनने के लिए मजबूर और अन्य परेशानियों में जी रहे बच्चों को शिक्षा, प्रशिक्षण और पुनर्वास दिलाया जाएगा और उन्हें देश के लिए उपयोगी नागरिक बनने में सहायता दी जाएगी।
(x) 14 वर्ष से कम उम्र के किसी भी बच्चे के जोखिमवाले कामों में लगाने की अनुमति नहीं दी जाएगी, न ही उन्हें भारी काम करने दिया जाएगा।
(ix) बच्चों को ऊपेक्षा कुर्ता और शोषण से बचने के लिए संरक्षित किया जाएगा।
(xi) शारीरिक रूप से विकलांग, संवेगात्मक रूप से उद्वेलित और मंदबुद्धि बच्चों के विशेष उपचार, शिक्षा, पुनर्वास और देखभाल की व्यवस्था की जाएगी।
(xii) विपत्तियों और राष्ट्रीय आपदाओं के समय राहत- सहायता देने में बच्चों को प्राथमिकता दी जाएगी।
(xiii) अत्यंत प्रतिभाशाली बच्चों, विशेषकर कमजोर वर्गों के ऐसे बच्चों का पता लगाने, प्रोत्साहित करने और उनकी सहायता करने के लिए विशेष कार्यक्रम चलाए जाएँगे। >
(xiv) वर्तमान कानूनों में इस प्रकार संशोधन किए जाएँगे जिससे सभी कानूनी विवादों में, चाहे वे माता-पिता के बीच हों अथवा संस्थाओं में बच्चों के हितों पर सर्वाधिक ध्यान दिया जाएगा। )
(xv ) बच्चों के लिए विभिन्न सेवाओं के आयोजन में पारिवारिक संबंधों को मजबूत बनाने की दिशा में प्रयास किए जाएँगे, जिससे सामान्य परिवार, पास-पड़ोस और समुदाय के वातावरण में बच्चों की क्षमताओं का पूर्ण विकास हो सके।
समेकित बाल विकास सेवाएँ (Integrated Child Development Services)- राष्ट्रीय बाल नीति, 1974 को ध्यान में रखकर 1975 में देश में ' समेकित बाल विकास सेवाएँ' नाम का एक महत्त्वपूर्ण एवं एकीकृत कार्यक्रम शुरू किया गया। यह बाल कल्याण के क्षेत्र में अपने ढंग का विश्व में सबसे बड़ा कार्यक्रम है।
केंद्रीय समाजकल्याण बोर्ड की भूमिका - बाल कल्याण के क्षेत्र में केंद्रीय समाजकल्याणबोर्ड की भूमिका भी अत्यंत ही महत्त्वपूर्ण रही है। बोर्ड कल्याण संबंधी अधिकांश कार्यक्रमों को ऐच्छिक संगठनों द्वारा चलाता है और उनके लिए उन्हें वित्तीय सहायता देता है। कुछ कार्यक्रमों का संचालन बोर्ड स्वयं कराता है। ऐच्छिक अभिकरणों को बोर्ड द्वारा स्वीकृत या विनिर्दिष्ट बाल कल्याण कार्यक्रमों के लिए ही वित्तीय सहायता दी जाती है।
भारतीय बाल कल्याण परिषद (Indian Council of Child Welfare) - भारतीय बाल कल्याण परिषद बाल कल्याण के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर का एक महत्वपूर्ण ऐच्छिक अभिकरण है। इसकी स्थापना 1952 में हुई। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है। यह बाल कल्याण से संबद्ध कई कार्यक्रम चलाता है; जैसे- (1) बाल कल्याण से संबद्ध योजनाओं एवं कार्यक्रमों को लागू करना, (2) बाल कल्याण के कार्यकर्ताओं काप्रशि क्षण, (3) बालकों के कल्याण - के लिए कानून बनाने का प्रयास करना (4) बाल कल्याण संगठनों की स्थापना को प्रोत्साहित करना, (5) बालदिवस का आयोजन करना, (6) बालकों के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार का आयोजन करना, (7) अवकाश गृहों का संचालन करना, (8) समेकित बालविकास सेवा योजनाओं में भाग लेना, (9) बाल कल्याण से संबद्ध सम्मेलनों और सभाओं में भाग लेना तथा (10) बालकल्याण से संबद्ध सरकार के कार्यक्रमों में सहयोग प्रदान करना ।
बालकों के कल्याण से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण कार्यक्रम निम्नलिखित हैं-
1. शिशु गृह देखभाल केन्द्र
2. प्रारम्भिक बाल्यवस्था शिक्षा
3. बालवाड़ी पोषाहार कार्यक्रम
4. राष्ट्रीय बालकोष
5. शैक्षिक सुविधाएँ
6. केन्द्रीय समाज कल्याण बोर्ड की भूमिका
7. राष्ट्रीय पारितोषिक
8. बाल विकलांगों के लिए सेवाएँ
9. बाल श्रमिकों के लिए कार्यक्रम
10. बाल अपराधियों के लिए कार्यक्रम
11. बालिका समृद्धि योजना आदि।