अंतरिक्ष प्रयोगशाला (Space Laboratory) का संबंध कृत्रिम उपग्रह से है और उपग्रह से होने वाले संचार को उपग्रह संचार कहते हैं।
संसार में अंतरिक्ष प्रयोगशाला का प्रारंभ तत्कालिन सोवियत संघ के द्वारा 4 अक्टूबर, 1957 ई० को कृत्रिम उपग्रह स्पूतनिक के छोड़े जाने के साथ हुआ।
इसके बाद संयुक्त राज्य अमेरिका ने भी अंतरिक्ष में कृत्रिम उपग्रह स्थापित किए।
भारत ने भी अंतरिक्ष में संचार और संसाधनों के सर्वेक्षण के लिए आर्यभट्ट, भास्कर - 1, रोहिणी, एप्पल, इंसेट-1 ए, बी और सी इत्यादि उपग्रह स्थापित किए हैं।
अंतरिक्ष में उपग्रहों की स्थापना से तत्काल संसार के कोने-कोने से संचार संपर्क बनाने में सफलता मिली। इन्हीं के सहारे आज गाँव-गाँव में टेलीफोन लग गए हैं और मोबाइल सेवा उपलब्ध है।
इन उपग्रहों ने लंबी दूरी के संचार के अतिरिक्त दूरदर्शन और रेडियो को अत्यधिक प्रभावी बना दिया है।
अंतरिक्ष प्रयोगशाला अर्थात् कृत्रिम उपग्रह, रॉकेट और अंतरिक्ष यान में आवश्यकतानुसार भिन्न-भिन्न प्रकार के कैमरे एवं संवेदक लगे रहते हैं।
जिससे मौसम की भविष्यवाणी की जाती है तथा विभिन्न क्षेत्रों के प्राकृतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संसाधनों की जानकारी प्राप्त की जाती है।