आईन-ए-अकबरी के अनुसार अकबर के काल में कर निर्धारण की तीन प्रणालियाँ प्रचलित थी, जो निम्न लिखित—
1. गल्ला-बख्शी : भारत में भूमिकर निर्धारण की प्राचीन प्रणाली थी। इसे बटाई भी कहा जाता था। यह बटाई तीन प्रकार से होती थी—
- खेत बटाई
- लंक बटाई
- रास बटाई।
2. जब्ती : जब्ती से आशय किसान व सरकार के बीच उस समझौते से था जिसके अनुसार तीन वर्ष या उससे अधिक समय तक प्रति बीघा के हिसाब से लगान निश्चित किया जाता था।
चाहे खेत में कितनी भी पैदावार हो अथवा न हो। इसकी दर जमीन की उपज, शक्ति और उसकी स्थिति पर निर्भर थी। जब्ती को नगद अथवा जमई भी कहते थे।
3. नक्स : नक्स अथवा कनकूत प्रणाली के तहत जमीन की मोटे तौर पर पैदावार आँकी जाती थी। यह प्रणाली कृषकों के लिए अलाभकारी तथा झंझटपूर्ण थी।