कुसुम एक पढ़ने-लिखने वाली लड़की है। उसकी माँ चल बसी है। अचानक वह भी पागल की तरह आचरण करने लगती है। उसे भी टट्टी - पेशाब का ध्यान नहीं रहता है।
कुसुम को अस्पताल में भर्ती की बात सुनकर माँजी को लगा कि यदि उसकी माँ जीवित होती तो अस्पताल में भर्ती न करने देती। डॉक्टर, नर्स आदि की देख-रेख में कुसुम धीरे-धीरे ठीक होने लगती है।
कुसुम ठीक होने पर घर आती है। सभी उससे मिलने आते हैं। उनमें माँजी विशेष रूप में हैं ।
कुसुम की बातों से माँजी का हृदय बदल जाता है। उन्हें भी अस्पताल के प्रति श्रद्धा - उत्पन्न हो गई। गाँव के लोगों ने माँ जी को समझाया कि एक बार अस्पताल में भर्ती कराकर देख तो लें । यदि ठीक नहीं हुई तो मंगु को वापस बुला लेना।
अंत में माँजी ने भर्ती कराने का निर्णय लिया। उन्होंने अपने बड़े पुत्र के पास पत्र भेजा। पत्र मिलते ही बड़ा पुत्र आ गया और माँजी के साथ मंगु को लेकर अस्पताल गया। अस्पताल में भर्ती कराकर माँजी घर लौट आती है।