वैयक्तिक निबंध को ही आज ललित निबंध कहा जाता है। ललित निबंध की विशेषता होती है कि जिस प्रकार शास्त्रीय संगीत के गाढ़ेपन को थोड़ा घोलकर सुगम संगीत बना दिया गया है, उसी प्रकार निबंध को लोकप्रिय बनाने के लिए उसकी प्राचीन शास्त्रीयता को एक हद तक ढीला करके लालित्य तत्त्व से मढ़ दिया गया है। इस प्रकार ललित निबंध में हमारे विचारों को झकझोर कर उसमें कल्पना और निजी अनुभव की अभिव्यक्ति होती है।