वृक्षारोपण
भूमिका, वृक्ष की महत्ता, वृक्ष से लाभ, कटाई की प्रतिपूर्ति, उपसंहार
भूमिका – किसी कवि ने लिखा है— मेघों को बहकने से रोकता, जल को जमीन पर उतारता और आकाश में फैले जहर को पी जाता है पेड़ / ... नहीं बराबरी कर सकती दुनिया की कोई दौलत इसकी हरीतिमा से / आओ अगली सदी की प्रदूषित पृथ्वी में / ऑक्सीजन सिलिंडर लेकर चलने से पहले / हरित सपनों को सूखने से बचाएँ / और लगाएँ एक-एक पेड़।
वृक्ष की महत्ता – वृक्ष प्राणियों के वास्तविक मित्र हैं। यही कारण है कि हमारे पूर्वजों ने वृक्ष लगाने और उनकी पूजा पर जोर दिया। पूजा करने का अर्थ सिर्फ इतना ही था कि लोगों में वृक्षों और पौधों के प्रति पूज्य भाव जागरित हो और लोग इनकी सुरक्षा के लिए तत्पर हों। वृक्ष परमार्थ के जीते-जागते प्रतीक हैं।
वृक्ष से लाभ - इस धरती पर जितने भी जीवधारी हैं, वृक्ष उनके वास्तविक रक्षक और मित्र हैं। धरती के जीवों का वृक्षों के साथ घनिष्ठ संबंध है। जल ही 'जीवन' है और इस 'जीवन' को वृक्ष ही आमंत्रित करते हैं। इनके स्नेहपूर्वक आमंत्रण पर ही मेघ पृथ्वी पर जल बरसाते हैं तथा जीवों को उपकृत करते हैं। वृक्ष ही पर्यावरण को विशुद्ध एवं संतुलित करते हैं।
कटाई की प्रतिपूर्ति - भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वनों की निर्ममतापूर्वक कटाई हो रही है। ऐसा कर हम अपने पैरों पर ही कुल्हाड़ी चला रहे हैं। पेड़-पौधों की निर्मम एवं अविवेकपूर्ण कटाई के चलते वायु प्रदूषण खतरे केनिशान को पार कर गया है। ऐसी स्थिति में वृक्ष लगाने (वृक्षारोपण) की अनिवार्यता है। वृक्षारोपण कर हम जीवधारियों के प्राणों की रक्षा कर सकते हैं और इस धरती को जीने लायक बना सकते हैं।
उपसंहार – प्रत्येक मानव का यह कर्तव्य है कि वह स्वयं वृक्ष लगाए और दूसरों को भी वृक्ष लगाने के लिए प्रेरित करे। वर्तमान की सुरक्षा ही भविष्य की सुरक्षा है। आएँ, हम यह संकल्प लें कि वृक्षारोपण के द्वारा हम आनेवाली पीढ़ी को शुद्ध पर्यावरण सौंपेंगे।