सेकण्डरी स्तर पर (At Secondary Level) — इस स्तर पर विद्यार्थी में समझ का स्तर बढ़ जाता है और वह स्वयं के हानि-लाभ के अतिरिक्त, सामाजिक संबंधी, मूल्यपरक और मानव कल्याण तथा देश हित के कार्यों में रुचि लेने लगते हैं। अतः विषय-वस्तु से संबंधित कुछ जटिलताओं से उनको परिचित कराया जा सकता है, जैसे-बढ़ती जनसंख्या के दुष्परिणाम, खाद्यान्न की कमी, विभिन्न प्रकार के प्रदूषण, भूमि क्षरण, वन्य जीव संरक्षण आदि ।
विभिन्न विषयों में विशिष्ट प्रकरणों के साथ पर्यावरण दृष्टिकोण को अप्रत्यक्ष रूप से सम्मिलित करने की बात पहले भी कही जा चुकी है।