औपचारिक पर्यावरण शिक्षा पाठ्यक्रम (Semi-formal Environment Education Curriculum) — यह सर्वविदित है कि राष्ट्रीय योजनाओं और इसी स्तर के अनेक कार्यक्रमों को बनाने, क्रियान्वयन करने और आवश्यकता पड़ने पर उनके परिणामों से जूझने-सुलझने और हल निकालने में प्रशासकीय उच्च अधिकारी तथा नीति निर्माताओं की प्रमुख भूमिका रहती है। अतः इन सभी लोगों को पर्यावरण से संबंधित जानकारी देनी चाहिए।
इसी क्रम में यह उचित प्रतीत होता है कि सभी संस्थानों (राजकीय/अराजकीय) के अधिकारी व कर्मचारियों के भी पर्यावरण शिक्षा के कार्यक्रमों में भाग लेने हेतु अनिवार्यता कर दी जाए। यही नहीं फैक्टरीज, हॉस्पिटल्स, इंजीनियरिंग संस्थान आदि के लोगों को भी इसमें सम्मिलित करना चाहिए।
विभिन्न ऐसे विभाग जिनका पर्यावरण विकृति से सीधा संबंध है, जैसे—परिवहन विभाग, इनके चालक-परिचालकों तथा आगार के मिस्त्रियों को भी इस) सूची में रखना चाहिए, क्योंकि इस तरह के लोगों को काफी समय तक किसी प्रशिक्षण में रखा जाना संभव नहीं है, अतः इनके विशिष्ट कोर्स कैप्सूल बनाए रखे जाने चाहिए और एक दिन से लेकर दस पन्द्रह दिन तक कोर्सेज रखे जा सकते हैं। योग्यतानुसार पाठ्य-सामग्री की उपलब्धता भी कुछ सहायक हो सकती है।