प्राचीनकाल से ही मनुष्य अपने चारों ओर स्थित वातावरण के बारे में अधिक से अधिक जानने के लिये उत्सुक रहा है। पृथ्वी के चारों और अनन्त सीमा तक फैले वृहत्तर पर्यावरण को ब्रह्माण्ड कहते हैं।अवलोकनों और प्रेक्षणों पर आधारित ब्रह्माण्ड का अध्ययन करने वाले विज्ञान को खगोलशास्त्र कहते हैं। ब्रह्माण्ड के प्रमुख तीन अवयव - मन्दाकिनियाँ, तारे एवं सौरमण्डल हैं। ब्रह्माण्ड में असंख्य तारे होते हैं। ये तारे चारों ओर एक समान रूप से वितरित न होकर बड़े-बड़े गुच्छों अथवा समूहों में पाये जाते हैं। तारों के किसी ऐसे समूह को मन्दाकिनी या निहारिका या आकाशगंगा (Galaxy) कहते हैं। हमारा सूर्य जिस मन्दाकिनी में स्थित है उसे दुग्धमेखला (Milky way) कहते हैं।
खगोलज्ञों की अनुमानित गणना के अनुसार ब्रह्माण्ड में लगभग दस अरब मन्दाकिनियाँ हैं। प्रत्येक मन्दाकिनी में औसतन कई अरब तारे होते हैं। हमारा सूर्य ऐसा ही एक तारा है जिसके चारों ओर नौ ग्रह परिक्रमा लगाते रहते हैं। पृथ्वी इन ग्रहों में से एक ग्रह हैं जो सूर्य के चारों ओर परिक्रमा लगाती है। सूर्य की परिक्रमा करते ग्रह तथा उनके उपग्रह आदि को मिलाकर हमारा सौरमण्डल बनता है। हमारी आकाशगंगा सर्पिल आकार (Spiral) की है और यह धीरे-धीरे दक्षिणावर्त घूम रही है। हमारा सौरमण्डल इसके छोर (सिरे) पर स्थित है। इस गैलेक्सी का व्यास लगभग 100 हजार ( 100,000) प्रकाश वर्ष तथा मोटाई 5 हजार (5.000) प्रकाश वर्ष के लगभग है। हमारा सूर्य इस गैलेक्सी के केन्द्र लगभग 30 हजार (30,000) प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है ।