भौतिक पर्यावरण के अध्ययन को रोचक बनाने के लिये शिक्षक को निम्नलिखित उपाय करने चाहिये, जिसमें छात्रों का अधिगम स्तर उच्च हो सके -
(1) छात्रों को पर्वत श्रृंखलाओं एवं चट्टानों का प्रत्यक्ष रूप से भ्रमण कराने की योजना चलायी जानी चाहिये जिससे छात्र विभिन्न प्रकार की पर्वत शृंखलाओं के बारे में जान सकें।
(2) छात्रों को विभिन्न पर्वत श्रृंखलाओं से सम्बद्ध कहानियों के बारे में बताना चाहिये जैसे कि माउण्ट एवरेस्ट से जुड़ी अनेक पर्वतारोही व्यक्तियों की कहानियाँ छात्रों में रोमांच उत्पन्न कर सकती हैं।
(3) प्राकृतिक सम्पदा के रूप में छात्रों के लिये वन भ्रमण की योजना बनानी चाहिये जिससे छात्र विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों के बारे में ज्ञान प्राप्त कर सकें। यदि विद्यालय में उद्यान की व्यवस्था है तो छात्रों को विद्यालय उद्यान का भ्रमण सप्ताह में एक बार अवश्य कराना चाहिये।
(4) छात्रों को प्राकृतिक संसाधनों से सम्बन्धित विभिन्न प्रकार की कविता एवं नारों को याद कराना चाहिये तथा विद्यालय की दीवारों पर उनको अंकित करना चाहिये; जैसे-वृक्ष धरा के भूषण हैं करते दूर प्रदूषण हैं।
(5) विद्यालय में विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक संसाधनों को प्रत्यक्ष रूप से दिखाने की व्यवस्था संग्रहालय के माध्यम से या प्रदर्शनी के माध्यम से की जा सकती है, क्योंकि प्रदर्शनी एवं संग्रहालय में भी चट्टान, मिट्टी, पेट्रोलियम पदार्थ एवं खनिज पदार्थों का इनके नमूनों के द्वारा प्रत्यक्ष प्रदर्शन किया जा सकता है।
(6) प्राकृतिक संसाधनों पर छात्रों को उनकी उपयोगिता एवं महत्त्व से सम्बन्धित निबन्ध लेखन के लिये प्रेरित करना चाहिये। इसके लिये विद्यालय में निबन्ध लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया जाना चाहिये।
(7) विद्यालयमें वर्ष में एक या दो बार पर्यावरणीय मेलौ का आयोजन किया जाना चाहिये, जिसमें अन्य विद्यालय के छात्रों को भी बुलाना चाहिये, जिससे प्राकृतिक पर्यावरण से सम्बन्धित तत्त्वों को विभिन्न माध्यमों से प्रदर्शित करने की व्यवस्था होनी चाहिये।
(8) विद्यालय में भौतिक पर्यावरण से सम्बन्धित तत्त्वों पर वाद-विवाद प्रतियोगिताओं का आयोजन करना चाहिये, जिससे छात्रों में भौतिक पर्यावरण संरक्षण के प्रति रुचि उत्पन्न हो तथा छात्र प्राकृतिक संसाधनों के मितव्ययी प्रयोग की अवधारणा को आत्मसात् कर सकें; जैसे- ऊर्जा स्रोतों का उचित प्रयोग तथा पेट्रोलियम पदार्थों का मितव्ययी प्रयोग आदि।