प्रत्येक बच्चे को अपनी मातृभाषा एवं उसके साहित्य से एक विशेष लगाव होता है; जैसे-जैसे वह मातृभाषा पर अधिकार करता जाता है, वैसे-वैसे उसमें अपनी मातृभाषा के साहित्य के प्रति रुचि जाग्रत होती जाती है।
साहित्य समाज का दर्पण होता है, किसी जाति विशेष के स्तर पर द्योतक होता है और उसके कोष में विचार, अनुभव, मानव जीवन का रहस्य छिपा होता है ।
संस्कृति, सभ्यता, रीति-रिवाजों का प्रतिनिधित्व करता है ।