पढ़ना किस प्रकार सिखाया जाना चाहिए? Padhna Kis Prakar Likha Jana Chahie?
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पढ़ना किस प्रकार सिखाया जाना चाहिए? Padhna Kis Prakar Likha Jana Chahie?

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अध्यापक इस बात की अहमियत समझें कि पढ़ने का अर्थ मात्र शब्दों तथा अक्षरों की पहचान से नहीं है बल्कि उनमें से अर्थ ढूँढने से है और अर्थ हिस्से करके शब्द पढ़ने से नहीं आते बल्कि लिखे हुए में अपने अनुभव और अनुमान जोड़ने से आते हैं।

पढ़ने का मतलब सिर्फ पाठ्य पुस्तकों के पाठों को पढ़ पाना नहीं बल्कि अपने चारों ओर बिखरी अथाह लिखित और मुद्रित सामग्री को पढ़ पाना और उसमें से अपने लिए कुछ निकाल पाना असल मायनों में पढ़ना है। 

भाषा के उच्च स्तरीय कौशल तो पढ़ने की परिभाषा को कहीं और दूर ले जाते हैं। उनके अनुसार पढ़ने के प्रति सदैव एक ललक लिए रहना, साहित्य का रसास्वादन करना, अपने सामाजिक परिवेश को समझकर उसके प्रति आलोचनात्मक दृष्टिकोण विकसित करना ही 'पढ़ना' है ।

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