पढ़ना एक सृजनात्मक अनुभव है, कैसे? स्पष्ट कीजिए। Padhna Ek Srijanatmak Anubhav Hai Kaise? Spasht Kijiye.
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पढ़ना एक सृजनात्मक अनुभव है, कैसे? स्पष्ट कीजिए। Padhna Ek Srijanatmak Anubhav Hai Kaise? Spasht Kijiye.

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पढ़ने की प्रक्रिया में पाठक मुख्य भूमिका निभाते हैं अथवा दूसरे शब्दों में यह कहाँ जा सकता है कि पढ़ने की सारी जिम्मेदारी पढ़ने वाले पर ही होती है। दूसरी ओर वर्ण की पहचान करना सरल प्रक्रिया नहीं है तथा वर्ण पहचानना ही पढ़ने का महत्वपूर्ण कार्य नहीं है। 

कई बार वर्गों और ध्वनियों में तालमेल नहीं होता है ऐसे में पढ़ने की प्रक्रिया का पहला कदम बहुत कठिन हो जाता है। पढ़ना सिर्फ वर्ण अथवा शब्दों को पढ़ लेना ही नहीं है, समझकर पढ़ना, शब्दों में एक ऐसा अर्थ ढूँढना जिसका पढ़ने वाले (पाठक) के साथ एक आत्मीय व भावनात्मक रिश्ता हो ।

वास्तव में देखा जाए तो पढ़ना बहुत ही सृजनात्मक अनुभव तथा संरचनात्मक कार्य है। पढ़ना एक ऐसी क्षमता है जिसमें पढ़ने वाले (पाठक) के अपने पूर्व अनुभव भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। पढ़ने से पाठक का सृजनात्मक एवं रचनात्मक विकास संभव हो पाता है।

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