वैश्वीकरण(Globalization) वह प्रकिया है जिसमें विश्व बाजारों के बीच पारस्परिक निर्भरता र्पदा होती है और व्यापार देश की सीमाओं में न रहकर सीमाओं के आर-पार किया जाता है वैश्वीकरण वह प्रक्रिया है जिसमें पूरा विश्व सिमट कर एक छोटे गाँव के रूप में बदल जाता इस प्रक्रिया के अर्न्तगत विभिन्न देश अपनी सीमाओं से बाहर जाकर अन्य देशों के व्यापार तथा पूंजी का आदान-प्रदान करते है।
अन्य शब्दों में जब देश की अर्थव्यवस्था अन्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं के सम्पर्क में आती है तो इसे ही वैश्वीकरण कहते है। वैश्वीकरण के मुख्य रूप में तीन आयाम है।
राजनीतिक आयाम:- वैश्वीकरण के कारण राज्य की भूमिका में व्यापक परिवर्तन हुए तथा राज्य की प्रभुसत्ता बुरी तरह प्रभावित हुई है वैश्वीकरण के राजनीतिक परिवर्तनों को हम नि.लि. बिन्दुओं से समझ सकते है।
1. वैश्वीकरण के कारण रज्यों ने पूंजीवादी अर्थव्यवस्था को अपनाया है जिसके कारण उन्हें अस्तक्षेपी अर्थव्यवस्था की नीति को स्वीकार करना पडता है जिससे राज्य की शक्ति में कमी आई है।
2. वैश्वीकरण के कारण कल्याणकारी राज्य की जन कल्याण की नीतियां प्रभावित हुई है जिसके कारण गरीब तथा पिछड़े वर्गों के लिए किए जाने वाले सुधार कार्य प्रभावित हुए है।
3. वैश्वीकरण के कारण बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने पूरी दुनिया में अपना व्यापार प्रभाव जमा लिया है तथा ये कम्पनियां अब विकासशील राष्ट्रों में सरकारों पर भी प्रभाव डालती है जिससे सरकार की स्वनिर्णणय लेने की क्षमता प्रभावित हुई है।
4. वैश्वीकरण प्रक्रिया के नियमों के कारण बड़े देश छोटे देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने लगे है जबकि ये राष्ट्र अपने निर्णय स्वयं लेना चाहते है और ये नहीं चाहते की कोई अमेरिका, रूस जैसी शक्ति उनके विषय में हस्तक्षेप करें।
आर्थिक आयामः- वैश्वीकरण के कारण आर्थिक क्षेत्रों में बहुत तेजी से परिवर्तन हुए है और दुनिया के विभिन्न देशों के बीच वस्तुओं, तकनीक एवं पूंजी का आदान प्रदान तेजी से हो रहा है वैश्वीकरण के आर्थिक आयाम को हम निम्न प्रकार से समझ सकते हैं।
1. वैश्वीकरण के कारण पूरी दुनिया के व्यापार में वृद्धि हुई है तथा बड़े औद्योगिक लोग किसी भी देश में अपनी पूंजी का निवेश कर सकते है खासकर विकासशील देशों में जहां मुनाफा अधिक हो।
2. वैश्वीकरण के कारण व्यापार में इंटरनेट का प्रयोग बढ़ गया है तथा अब मिनटों में पूंजी का आदान-प्रदान एक देश से दूसरे देश में हो जाता है उसके अलावा लोग एक-दूसरे के देश में जाकर नौकरियां करने लगे है।
3. वैश्वीकरण के कारण आपसी निर्भरता बढ़ी है तथा खुलापन आया है जिसके कारण ज्यादा से ज्यादा आबादी की खुशहाली बढ़ी है इसलिए वैश्वीकरण के समर्थक इसे वरदान मानते हैं।
4. कुछ लोगों की राय में वेश्वीकरण के कारण प्रतियोगिता में वृद्धि हुई है जिसके चलते लघु व कुटीर उद्योग बुरी तरह नष्ट हो रहे है।
वैश्वीकरण के सांस्कृतिक आयाम:- वैश्वीकरण का प्रभाव देशों की संस्कृतियों पर भी पड़ा है इसके कुछ सकारात्मक तथा कुछ नकारात्मक प्रभाव देखने का मिलते हैं। जैसे-
1. वैश्वीकरण के कारण विकासशील देशों की संस्कृतियां युरोपिय तथा अमेरिका की संस्कृति के अनुसार ढ़लती जा रही है।
2. वैश्वीकरण प्रक्रिया के कारण लोगों की जीवन शेली में बड़ा बदलाव आया है तथा अब लोग मेकडोनल्ड में खाना पार्टी में देर रात तक घूमना आदि पसंद करने लगे है।
3. वर्तमान समय में सभी देशों की संस्कृतियां आपस में घुलमिल गई है उदाहरण के लिए लोग उन त्योहारों को भी धूमधाम से मनाने लगे है जो उनके नहीं है जैसे न्यू ईयर, किसमस आदि।
4. वेश्वीकरण प्रक्रिया के कारण लोग मानसिक रूप से अमेरिका तथा पश्चिमी देशों के गुलाम बन रहे है क्योंकि वे अपनी संस्कृति को बेकार तथा पश्चिमी संस्कृति को उच्च समझते हैं लोगों के रहन-सहन तथा बोलचाल से इस बात का पता चलता है।
वैश्वीकरण के पक्ष ओर विपक्ष तर्क :
पक्ष पर तर्क :-
1. वैश्वीकरण का एक मुख्य उपकरण विश्व व्यापार संघ है जिसका उद्देश्य अर्न्तराष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देना है तथा मुक्त व्यापार को प्रोत्साहन प्रदान करना है जिसका लाभ विश्व के सभी देशों को प्राप्त होता है।
2. वैश्वीकरण के समर्थको का मानना है कि यह प्रक्रिया अभी पूरी तरह विकसित नहीं हुई है एक बार यह प्रक्रिया पूर्ण रूप से पूरे विश्व में लागू हो जाएगी तो पूरे विश्व में निरंतर विकास को बढ़ावा मिलेगा।
3. वैश्वीकरण के समर्थको का मानना है कि वर्तमान समय में यह एक आवश्यक प्रकिया है क्योंकि इससे अर्न्तराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग और मधुर संबंधों को बढ़ावा मिलता है।
4. वैश्वीकरण के समर्थकों के अनुसार ये प्रकिया पूरे विश्व को एकता के सूत्र में बांधती है जिससे राष्ट्रवाद और सुरक्षावाद जैसे नकारात्मक सिद्धान्तों का महत्व कम हुआ है।
5. वेश्वीकरण के समर्थकों के अनुसार यह एक स्वाभाविक प्रकिया है जिसके माध्यम से तेजी से विकास के लख्य को प्राप्त किया जा सकता है।
6. वैश्वीकरण के कारण बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ विभिन्न देशों में पूंजी निवेश करती है जिसके कारण स्थानिय जनता के रोजगार में वृद्धि होती है।
7. वैश्वीकरण एक पूंजीवादी व्यवस्था होने के कारण इसके प्रतिस्पर्धा पाई जाती है जिससे उपभोक्ता को सस्ते दामों पर उच्च गुणवत्ता वाली वस्तु प्राप्त होती है।
8. वेश्वीकरण के कारण बहुराष्ट्रीय कम्पनियां एक दूसरे देश में व्यापार करती है जिसके कारण स्थानिय सरकारों को करों के रूप में बड़ी धन राशि प्राप्त होती है।
विपक्ष में तर्क:-
1. वैश्वीकरण एक गैर लोकतान्त्रिक प्रक्रिया है जो कल्याणकारी राज्य की भूमिका को कम करके लोकतत्र के धीरे-धीरे कमजोर कर रही है जिससे राष्ट्रों की प्रभुसत्ता को खतरा उत्पन्न हो गया।
2. आलोचको का मानना है कि वैश्वीकरण की प्रकिया विकसित देश का एक कार्यक्म है जिसके द्वारा वे अर्न्तराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को नियन्त्रित करके अपने लाभ के लिए प्रयोग कर रहे है।
3. आलोचकों के अनुसार बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का मुख्य उद्देश्य केवल आर्थिक लाभ प्राप्त करना है। अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिए ये देशों की राजनीतिक व्यवस्था को प्रभावित करती है।
4. वैश्वीकरण प्रक्रिया के अर्न्तगत किए जाने वाले समझौते जैसे WTO, GATT, NAPTA, PETENT आदि विकसित देशों ने अपने हितों को ध्यान में रखते हुए बनाए है विकासशील देशों के लिए ये समझौते बहुत कठिन तथा हानिकारण साबित हो रहे है।
5. वैश्वीकरण की प्रक्रिया के कारण धनी तथा निर्धन वर्ग के बीच असमानता में वृद्धि हुई है जैसे 20 प्रतिशत धनी देशों की जनसंख्या तथा निर्धन देशों की आय का अंतर 1960 में 30 प्रतिशत से बढ़कर 1995 में 82 प्रतिशत हो गया इसके अलावा विश्व में 80 करोड लोग भोजन की कमी का शिकार हुए है।